भाद्रपद में कृष्णपक्ष अष्टमी के दिन भगवान् कृष्ण का जन्म हुआ। उसी उपलक्ष्य में पूरे संसार में जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन सभी लोग भगवान् श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं और पूजा करने बाद कृष्ण आरती की वंदना करते हैं।
Krishna Aarati(कृष्ण आरती)
आरती कुञ्ज बिहारी की, श्री गिरधर कृष्णमुरारी की।
गले में वैजन्ती माला बजावे मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झल काला, नन्द के आँगन नंदलाला।
नन्द के आनंद मोहन ब्रजचन्द परमानन्द
राधिका रमण बिहारी की, श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की।।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाड़े बनमाली,
भ्रम सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की।।
कनकमय मोर मुकुट विलसे, देवता दर्शन को तरसे,
गगन में सुमन बहुत बरसे,
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिनि संग,
अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की।।
जहाँ से प्रकट भाई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्री गंगा,
स्मरण से होत मोह भंगा,
बसी शिव शीश, जटा के बीच, हरै अध् कीच,
चरण छवि श्री बनवारी की, श्री गिरधर कृष्ण मुरारी।।
चमकती उज्जवल तट रेणू, बजा रहे वृन्दावन वेणू,
जहाँ दिशि गोपी ग्वाल धेनू,
हँसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भवफन्द,
टेर सुनो दीं भिखारी की, श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की।।
श्री कृष्ण आरती के महत्व
यह बात तो हम सभी जानते हैं की श्री कृष्ण विष्णु जी के अवतार हैं। नारायण के 10 अवतारों में श्री कृष्ण 8वें अवतार हैं। श्री कृष्ण पूर्ण अवतार हैं। श्री कृष्ण का अवतार इस संसार से अधर्म को मिटाने और धर्म की पुनः स्थापना के लिए जन्म हुआ था।
गीता में श्री कृष्ण ने एक श्लोक भी कहा हैं.
परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥
ऐसा शिवपुराण में दिया गया हैं कि शंकर भगवान् पार्वती से कहते हैं कि कलयुग में सबसे बड़ा पुण्य हैं श्री कृष्ण नाम का जप करना। कलयुग में श्री कृष्ण भगवान् की पूजा और जप करना सतयुग में एक यज्ञ के बराबर बताई गयी हैं । कलयुग में भगवान् श्री कृष्ण की भक्ति बहुत जरूरी हैं।
जन्माष्टमी के शुभ अवसर में हमें श्री कृष्ण भगवान् कि पूजा और अर्चना करनी चाहिए और घी के दिए से आरती करनी चाहिए।
श्री कृष्ण भगवान की आरती करने से भव बाधाएं समाप्त हो जाती हैं, दुःख दरिद्र मिट जाते हैं और सुख की अनुभूति होती हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर में हमें श्री कृष्ण का भजन भी करना चाहिए। हम यह नहीं कहते हैं कि आपको संस्कृत के बड़े बड़े श्लोक याद करके पाठ करना चाहिए अपितु ऐसे भजन जिसे आप कही भी गुनगुना सकते हो ऐसे भजन जरूर जपना चाहिए। इसमें से एक भजन हैं–
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।