शनिदेव सूर्य भगवान् के पुत्र हैं। शनिदेव को कर्म फल दाता बोला जाता है क्योंकि वो अच्छे और बुरे कर्मों का उचित फल देते हैं। शनिवार को हमें शनि देव की चालीसा और आरती जरूर करनी चाहिए।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी । सूरज के पुत्र छाया महतारी ॥ ॥ जय जय श्री शनिदेव॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी । नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥ ॥ जय जय श्री शनिदेव॥
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी । मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ॥ ॥ जय जय श्री शनिदेव॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी । लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ॥ ॥ जय जय श्री शनिदेव॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी । विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥ ॥ जय जय श्री शनिदेव॥