कज़ाख़िस्तान का रामायण से सम्बन्ध(Connection Of Kazakhstaan and Ramayan)
कजाखस्तान का रामायण से क्या सम्बन्ध है कजाखस्तान की धरती लाल क्यों है ?बहुत काम लोग जानते होंगे की कजाखस्तान का रामायण से कोई सम्बन्ध भी हो सकता है ।
यह बात है त्रेतायुग की जब श्री राम भगवान् का अवतार हुआ था । राम भगवान् चौदह वर्ष के लिए वनवास को गए। जब रावण सीता माता को हरण करके लंका ले जाता है। तब राम भगवान् माता सीता को खोजते हुए सुग्रीव के पास पहुंचते हैं और वहाँ से जब हनुमान सुग्रीव और सभी वानर दल समुद्र को पार करने की सोचते हैं। राम भगवान् चाहते हैं की समुद्र उन्हें स्वयं इस विशाल सागर को पार करने का रास्ता प्रदान करें। भगवान् राम समुद्र की की पूजा और उससे विनती करते है की हमें आगे जाने का रास्ता दिखाएँ । समुद्र से विनती करते करते श्री राम को दो से तीन दिन हो जाते है और समुद्र के ऊपर कोई असर नहीं होता है ।
जब समुद्र ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई तो भगवान् राम को क्रोध आ गया। भगवान राम ने आग्नेय बाण का संधान किया जो कि महाप्रलयकारी था और उस बाण के अंदर इतनी शक्ति थी वो क्षण भर में समुद्र को सुखा सकता था। जिससे डरकर समुद्र उनके चरणों में आकर गिर गया। तब समुद्र ने बताया कि आप नल नील द्वारा पुल बनायें। उन्हें ऋषि के श्राप के कारण बड़ा से बड़ा पत्थर भी समुद्र में तैरता रहेगा और मै इस अभियान में आपकी हर तरह से सहायता करूँगा। अतः आप इस सागर को बहुत ही आसानी से पार कर पाएंगे।
द्रुमकुल्य क्या है
श्रीराम भगवान् ने समुद्र से कहा कि मेरे सभी बाण अमोघ हैं । जिस भी बाण का एक बार संधान हो जाता है तो उसे कही न कहीं छोड़ना ही पड़ता है । अतः समुद्रराज अब तुम ये बताओ की मै इस बाण को कहा पर छोडूं तब समुद्र ने कहा की यहाँ से उत्तर दिशा की ओर एक द्रमकुल्य नाम का राज्य है जहा के डाकू मेरे जल को दूषित करते हैं और उसका दुरुपयोग करते हैं । अतः आप बाण उत्तर दिशा में छोड़ दो। तब श्री राम ने कहा कि इस बाण कि शक्ति बहुत तेज हैं, जहा भी ये बाण गिरेगा वहाँ के सभी चराचर जीव नष्ट हो जायेंगे। वहां के सभी प्राणी और संसाधन नष्ट हो जायेंगे। रामायण काल का द्रुमकुल्य आज का कजाखस्तान हैं
किज़िलकुम रेगिस्तान कैसे बना ?
राम भगवान् के उस ब्रह्मास्त्र जैसे तीव्र बाण से द्रुमकुल्य के सारे डाकू मारे गए । वहां के पास का सागर भी सूख गया और वहां पर चारो तरफ मरुस्थल (रेगिस्तान ) बन गया । आज का कजाखस्तान ही वह द्रमकुल्या देश था। आज भी किज़िलकुम दुनिया का 15वां सबसे बड़ा मरुस्थल है । यह रेगिस्तान किज़िलकुम मरुस्थल के नाम से जाना जाता है जहाँ पर लोग बसें हैं और वहाँ की मिटटी आज भी लाल है।
किज़िलकुम – औषधियों का खदान(Kyzylkum- the medicine Store)
राम भगवान् ने ये आशीर्वाद भी दिया था की आने वाले समय में वहाँ से बहुत सी औषधियां निकलेंगी जो मानव कल्याण के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगी। यह स्थान औषधि गुणों से भरपूर है और यहाँ पर जो भी वनस्पति मिलते है है वो संसार में और कहीं भी नहीं मिलते हैं।
जगह के मतभेद
कुछ लोगो का यह मानना है की राम भगवान् ने बाण आज के राजस्थान में चलाया था लेकिन बहुत सारे इतिहासकार इस बात को नकारते हैं और ये तथ्य रखते हैं कि राजस्थान में ऐसे कोई भी औषधि के भण्डार नहीं पाए जाते हैं जो रामायण में वर्णन की गयी हैं। कजाखस्तान की धरती में आज भी वो रेडियोएक्टिव गुण मिलते है जो ब्रम्हास्त्र जैसे प्रलयकारी अस्त्र का प्रमाण देते हैं ।
FAQ(कुछ सवाल और उसके जवाब)
Ques 1- द्रुमकूल्य(kazakhistaan) में कौन सा मरुस्थल है ?
Ans. कज़ाख़स्तान में किजिकुलम नामक मरुस्थल है जो की आज कज़ाख़स्तान, उज़्बेकिस्तान और तजाकिस्तान के भागो में आता है।
Ques.2- कज़ाख़स्तान में कौन सा सागर है ?
Ans. – कज़ाख़स्तान में अराल सागर है जो धीरे धीरे सूख रहा है। यह सागर 1960 से सूखना शुरू हुआ है और 2010 इसका बड़ा भाग सूख गया है ।