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Biography(jeewani)

तुलसीदास जी का जीवन परिचय | Tulsidas ji ka jeevan parichay

तुलसीदास जी का जन्म प्रयाग के पास चित्रकूट जिले में राजापुर नामक गाँव में हुआ।  संवत १५५४ में इनका जन्म हुआ और उनका जन्म आत्माराम दुबे नाम के सरयूपारीण ब्राह्मण परिवार में हुआ। तुलसीदास जी की माता का नाम हुलसी देवी था।  तुलसीदास जी का जीवन बहुत संघर्ष के साथ बीता।  उनके पिताजी बहुत ही गरीब परिवार […]

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हिन्दू धर्म में Indra Ki Pooja (इंद्र की पूजा) क्यों नहीं होती? गौतम ऋषि का श्राप

इंद्र कौन हैं इंद्र कश्यप ऋषि के पुत्र और देवताओं के राजा हैं। वैसे तो इंद्र एक पदवी  का नाम है और इंद्र के सिंहासन  में बहुत सारे लोग विराजमान हो चुके हैं जिसमे सुर, असुर और ऋषि तीनो सम्मिलित हैं। इंद्रा को बहुत सारे नामो से जाना जाता है जैसे की सुरेंद्र, देवेंद्र, सुरेश, देवेश, सुरपति, वासव, पुरंदर

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Chalisa

Bajrang Ban – बजरंग बाण

दोहा : निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥ चौपाई : जय हनुमंत संत हितकारी।सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥जन के काज बिलंब न कीजै।आतुर दौरि महा सुख दीजै॥जैसे कूदि सिंधु महिपारा।सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥आगे जाय लंकिनी रोका।मारेहु लात गई सुरलोका॥जाय बिभीषन को सुख दीन्हा।सीता निरखि परमपद लीन्हा॥बाग उजारि सिंधु

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Aarti

आरती हनुमान जी की (Hanuman ji Aarti)

Hanuman ji aarti – हनुमान जी आरती आरती कीजै हनुमान लला की ।दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ जाके बल से गिरवर काँपेरोग-दोष जाके निकट न झाँके |अंजनि पुत्र महा बलदाईसंतन के प्रभु सदा सहाई ॥ ( आरती…. ) दे वीरा रघुनाथ पठाए लंका जारि सिया सुधि लाये |लंका सो कोट समुद्र सी खाई जात

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Ganesh Aarti ( गणेश आरती )

जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥ एक दंत दयावंत,चार भुजा धारी । माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी ॥ (जय गणेश ) पान चढ़े फल चढ़े,और चढ़े मेवा । लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा ॥ ( जय गणेश ) अंधन को आंख देत,कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत,निर्धन

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Shiv Chalisa (शिव चालीसा और उसके महत्व )

दोहा श्री गणेश गिरजा सुवन मंगल मूल सुजान |  कहत अयोध्या दास तुम देह अभय वरदान ||   चौपाई  जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥ मैना

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Mantra

महामृत्युंजय मंत्र (MahaMrityunjaya Mantra in Hindi)

Mahamrityunjay Mantra (महामृत्युंजय मंत्र )   ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् || महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ हिंदी में हम उन त्रिनेत्र (तीन नेत्र वाले मतलब शिव शंकर ) को पूजते हैं जो हमारा पालन पोषण करते है जैसे कोई फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी

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