रक्षाबंधन कब, कैसे और क्यों मनाया जाता है जानिये उसका इतिहास हिंदी में(Rakshabandhan in Hindi)

Table of Contents

रक्षाबंधन का त्यौहार कब मनाया जाता है

रक्षाबंधन का त्यौहार सावन मास की पूर्णमासी के दिन मनाया जाता है । ऐसा देखा गया की यह त्यौहार अगस्त के महीने में ही आता है कभी अगस्त महीने के शुरुवात में कभी मध्य में । इस बार रक्षाबंधन 22 अगस्त दिन रविवार को है ।

रक्षा बांधने का मुहूर्त कब है?

इस बार रक्षाबंधन 22 अगस्त दिन रविवार को मनाया जायेगा । रक्षा बांधने का मुहूर्त सुबह 6:15 बजे से रात के 7:40 बजे तक है ।

रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है

रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन के बीच प्रेम को दर्शाता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक करती है और अपने भाइयो को रक्षा (राखी) बांधती हैं । इसके साथ ही बहन अपने भाई से उसकी रक्षा करने का वचन मांगती है और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं ।

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है

रक्षाबंधन कब मनाया जाता है और कैसे मनाया जाता है ये तो सभी को मालूम है लेकिन रक्षाबंधन क्यों माने जाता है ये शायद कुछ लोगों को ही मालूम होगा । इसका सीधा सा उत्तर है ये बंधन एक भाई का अपने बहन के प्रति कर्त्तव्य परायणता को दर्शाता है और एक बहन का भाई के प्रति । जिस प्रकार इस दिन एक भाई अपने बहन को आजीवन रक्षा करने का वचन देता है उसी प्रकार बहन अपने भाई के लिए भगवान् से उसकी लम्बी आयु की कामना करती है ।

raksha-bandhan-2021

रक्षाबंधन त्यौहार के कुछ मिथक

इस त्योहार को लेकर के कुछ मिथक भी है लोगों के मन में
पहला तो ये है कि ये रक्षाबंधन का त्योहार सिर्फ़ बहन भाइयों के लिए ही मनाया जाता है । लेकिन हमने इतिहास के पन्नो को पलट कर देखा है की पत्नी अपने पति को भी रक्षा बाँधती है (देवराज इंद्र और सची)
हमारे यहाँ पर माताएँ और बहने अपने से बड़े और बुज़ुर्गों को भी रक्षा बाँधती हैं और उनके रक्षा के लिए भगवान से विनती करती हैं ।
रक्षाबंधन का त्योहार का महत्व पुराणों में भी वर्णित है। इस त्योहार को देवता और स्वयं भगवान भी मनाते हैं।

आइए जानते है कुछ पौराणिक कथावों के बारे में जो रक्षाबंधन से प्रेरित है । कुछ दन्त कथाये जो पुराणों और ग्रंथो से ली गयी हैं

इंद्रदेव और सची

असुर लोक का राजा बलि बहुत ही पराक्रमी था और विष्णु भगवान का भक्त भी था । एक बार उसने देवलोक में आक्रमण कर दिया और देवतावो को पराजित कर दिया । जिससे देवराज इंद्र और समस्त देवता घबरा गए । इसका निदान जानने के लिए देवराज इंद्र की पत्नी सची विष्णु भगवान के पास पहुँची और उनसे ये व्रत्तांत सुनाया तब विष्णु भगवान ने उन्हें एक रक्षा (धागा) दिया और कहा कि ये रक्षा देवराज इंद्र के कलाई में बाँध देना ।सची ने वो राखी इंद्र को बाँध दी । जब दूसरी बार राजा बलि का देवराज इंद्र से युद्ध हुआ तो इंद्र वो युद्ध जीत गए ।

माँ संतोषी

गणेश जी के दो पुत्र थे शुभ और लाभ । जब भी रक्षाबंधन का त्यौहार आता तब उन्हें बहुत दुःख होता था क्योंकि उनके कोई भी बहन नहीं थी । तब दोनों पुत्र गणेश जी के पास गए और उनसे एक बहन की मांग की । नारद जी ने भी गणेश जी से विनती की और एक पुत्री के लिए गणेश जी को प्रेरित किया तब गणेश जी ने ये बात रिद्धि – सिद्धि को बताई । रिद्धि – सिद्धि की उज्जवल ज्योति और गणेश जी के आशीर्वाद से उन्हें एक पुत्री की प्राप्ति हुयी जिसका उन्होंने संतोषी नाम रखा । शुभ लाभ अपनी बहन को देखकर बहुत खुश हुए और वो रक्षाबंधन के दिन उनसे राखी बंधवाने लगे

माँ लक्ष्मी और विष्णु जी

ऐसा कई पुराणों में वर्णित है कि असुर राजा बलि विष्णु जी का बहुत बड़ा भक्त था । एक बार राजा बलि विष्णु जी से आग्रह करके उन्हें अपने लोक ले गया और उनका बहुत आदर सत्कार किया और काफी दिनों तक विष्णु भगवान राजा बलि के यहाँ रुके । माता लक्ष्मी वैकुण्ठ लोक में अकेली पड़ गयी तब उनके मन में विचार आया और वो एक स्त्री का वेश धारण करके राजा बलि के महल में प्रवेश कर गयी । जब रक्षा बंधन का समय आया तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा बाँध करके भाई बना लिया और इसके उपलक्ष्य में राजा ने माँ लक्ष्मी को मनचाहा उपहार माँगने को कहा । तब माता ने उनसे स्वयं भगवान् विष्णु को मांग लिया और उनको लेकर वैकुण्ठ लोक चली गयी ।

ऐसी ही कुछ कहानिया लोगो ने इस युग के इतिहास में लिखी हैं । हमने ये सुना होगा की ये त्यौहार रंग- भेद , जाति – पात और धर्म को नहीं देखता। ऐसी कुछ कहानियाँ आज हम आपको बताएँगे

हुमायूँ और रानी कर्णावती

कई इतिहासकारो ने लिखा है एक बार सुल्तान बहादुर शाह जो कि अत्यंत शक्तिशाली शासक था उसने चित्तौड़ में आक्रमण करने का ऐलान कर दिया तब चित्तोड़ की महारानी कर्णावती ने हुमायूँ को राखी भेजी और उनसे चित्तौड़ की रक्षा करने का वचन लिया । कुछ इतिहासकार इस कहानी को नकारते हैं और कुछ इतिहासकार जो हिन्दू – मुस्लिम भाई भाई का विचार रखते है वो इस कहानी को मानते हैं ।

सिकंदर और राजा पुरु

जब सिकंदर पूरी दुनिया को जीतने के लिए निकला था तो अपने अभियान के आखिरी पड़ाव में भारत आ पहुंचा । यहाँ पर उसका सामना पराक्रमी राजा पुरु से हुआ। दोनों सेनाएं आपस में लड़ रही थी और सिकंदर की सेना कमजोर हो रही थी । ये बात सिकंदर की पत्नी को मालूम हुयी तो उसे डर लगने लगा की कही राजा पुरु सिकंदर का वध न कर दें । तभी रानी को किसी ने रक्षाबंधन के त्यौहार के बारे में बताया । तब रानी ने महाराजा पुरु के लिए राखी भेजी और ये विनती की कि राजा पुरु सिकंदर का वध न करें । राजा पुरु ने वो राखी स्वीकार की और अपनी बहन की विनती भी और सिकंदर को नहीं मारा ।

सिख समुदाय

सिख समुदाय की स्थापना करने वाले महाराजा रंजीत सिंह जी की पत्नी महारानी जिन्दान ने निसल क्र राजा को एक बार राखी भेजी हलाकि नेपाल के राजा ने राखी स्वीकार कर ली लेकिन हिन्दू राज्य देने से इंकार कर दिया । सिख इस त्यौहार को राखाडी भी कहते हैं ।

रक्षाबंधन से हमें क्या सीख लेनी चाहिए ?

हमें इस त्यौहार को सिर्फ बहन भाई के बीच एक आदान प्रदान की वस्तु की तरह नहीं देखना चाहिए । हमें इससे ऊपर उठकर के सोचना चाहिए । आजकल के युवा वर्ग में ये त्यौहार सिर्फ गिफ्ट और पैसो तक ही सीमित रह गया है । जैसे लोग आज कल मदर्स डे और फादर्स डे मनाते हैं वैसे ही रक्षाबंधन भी मानाने लगे हैं ।
यह हमारा कर्त्तव्य है की हम रक्षाबंधन के इस पावन त्यौहार को मनाएं भी और इसे लोगो पर प्रचलित करें जिससे ये पीढ़ी रक्षाबंधन में अपने बहन और भाई के प्रति कर्त्तव्य को निभा सके जिससे आने वाली पीढ़ी सीख ले सके ।

1 thought on “रक्षाबंधन कब, कैसे और क्यों मनाया जाता है जानिये उसका इतिहास हिंदी में(Rakshabandhan in Hindi)”

  1. Krishna Awatar Jhanwar

    बहुत सुंदर और जानकारियों वाला आलेख है

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top

AdBlocker Detected!

https://i.ibb.co/9w6ckGJ/Ad-Block-Detected-1.png

Dear visitor, it seems that you are using an adblocker please take a moment to disable your AdBlocker it helps us pay our publishers and continue to provide free content for everyone.

Please note that the Brave browser is not supported on our website. We kindly request you to open our website using a different browser to ensure the best browsing experience.

Thank you for your understanding and cooperation.

Once, You're Done?