राम जी की आरती(Ram ji ki aarti)
श्री राम भगवान् का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ था। इसी दिन को हम लोग राम नवमी के नाम से जानते हैं। राम नवमी के दिन भगवान् राम चंद्र जी की पूजा होती है। सभी भक्तजन इस तिथि को व्रत भी रखते हैं। राम भगवान् के जन्म दिन के उपलक्ष्य में श्री रामचंद्र जी की आरती जरूर की जाती है , इस आरती को ही राम स्तुति भी कहते हैं । इस स्तुति के बिना राम भगवान् की पूजा अधूरी है।
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुख कर-कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान शील सनेह जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भावनिह पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
श्री राम स्तुति के महत्व(Ram stuti importance)
श्री राम भगवान् मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, सभी विघ्नो के हारता हैं और इस जग के पालनकर्ता हैं । श्री राम स्तुति करने वाले भक्तों को भगवान् राम की असीम कृपा प्राप्त होती है उनके घर में लक्ष्मी का वास होता है। जहाँ भी भगवान् राम का भजन व स्तुति होती है वहां पर स्वयं बजरंगबली(हनुमान जी) निवास करते हैं। राम जी की चालीसा और आरती को राम नवमी के दिन अवस्य करना चाहिए