Shri Ram chalisa(राम चालीसा )
दोहा : आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनंवैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं चौपाई श्री रघुबीर भक्त हितकारी ।सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।ता सम भक्त और नहिं होई ॥ ध्यान धरे शिवजी मन माहीं ।ब्रह्मा इन्द्र पार […]